रांची में Centre for Sight Eye Hospital लेकर आई नई तकनीक, आंखों से उतर जाएगा चश्‍मा

रांची। झारखंड की राजधानी के कचहरी रोड स्थित पुस्‍तक भवन कॉम्‍प्‍लेक्‍स में Centre for Sight Eye Hospital खुला। इसका उद्घाटन राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने 22 अक्‍टूबर को किया। यह अस्‍पताल नई तकनीक लेकर आया है। इससे अब आंखों का चश्‍मा उतर जाएगा। 

इस अवसर पर राज्‍यपाल ने कहा कि इस अस्पताल की स्थापना से नवीनतम टेक्नोलॉजी से यहां के लोगों की आंखों का इलाज संभव हो पाएगा। आंख ईश्वर के दिए अनमोल उपहारों में से एक है। हमें इसकी देखभाल करनी चाहिए। आज अधिकांश बच्चे बाहर मैदान में नहीं खेलकर प्राय: मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं। इससे उनकी आंखों को नुकसान पहुंचता है। इस स्थिति में बुजुर्गों का दायित्व बढ़ जाता है कि बच्चों को अच्छी और बुरी आदतों की सीख बचपन से दें। 

राज्यपाल ने कहा कि आज झारखंड से बहुत सारे लोग इलाज के लिए चेन्नई एवं वेल्लोर जाते हैं। हम झारखंड में ऐसी सुविधा विकसित करना चाहते हैं कि यहां के लोगों को बाहर नहीं जाना पड़े। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री लगातार लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह एक पुनीत कार्य है। एक दिन झारखंड अंगदान में अव्वल राज्य होगा। उन्होंने कहा कि लोगों को स्वास्थ्य बीमा के प्रति जागरूक करने की भी जरूरत है। 

सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ महिपाल सिंह सचदेव ने कहा कि दुनिया की एक तिहाई दृष्टिहीन आबादी भारत में रहती है। सेंटर फॉर साइट का दृढ़ विश्वास है कि हर आंख बेस्ट इलाज डिजर्व करती है। सभी लोगों के लिए नेत्र स्वास्थ्य के प्रति हमारा विश्वास और समर्पण सेंटर फॉर साइट को रांची लाने में सहायक रहा है। 

डॉ महिपाल ने सिल्क (SILK) प्रक्रिया आंख से चश्‍मा उतारने की एक तकनीक है। स्मूद इंसाइजन लेंटिक्यूल केराटोमिलेसिस यानी सिल्क प्रक्रिया ने मायोपिया मरीजों को उम्मीद की नई किरण दी है। इस प्रक्रिया की मदद से लोगों को बिना ग्लास और कॉन्टेक्ट लेंस के अच्छा विजन पाने में मदद मिली है। 

डॉ महिपाल ने कहा कि आंखों का लेजर करने पर 22 मिमी का चीरा लगाना पड़ता है। सिल्‍क प्रक्रिया से 2 मिमी चीरा किया जाता है। आंखों में खुशकी नहीं होती है। दोबारा ऑपरेशन की जरूरत नहीं के बराबर पड़ती है। विजन भी बेहतर होती है। अगले साल से यह तननीक रांची में उपलब्‍ध होगी। इस विधि से दोनों आंखों के ऑपरेशन का खर्च करीब 1 लाख है। 

डॉ महिपाल ने कहा कि भारत के 30 से अधिक शहरों में सेंटर फॉर साइट 75 से ज्यादा जगह मौजूद है। अब सेंटर फॉर साइट आई केयर को रांची में भी ले आया है। इस सेंटर में एक ही छत के नीचे मोतियाबिंद के एडवांस ट्रीटमेंट से लेकर ग्लूकोमा के इलाज तक और सर्जरी की भी सुविधा है। इसके अलावा सेंटर स्थानीय लोगों के लिए नेत्र जांच कैंप भी आयोजित करेगा और एक ऑप्टिकल विंग, सीएफएस विजन का आयोजन करेगा, जिसकी मदद से लोगों को कंप्लीट आई सॉल्यूशन दिया जाएगा। अस्‍पताल में आयुष्‍मान कार्ड भी मान्‍य होगा। 

Source: https://dainikbharat24.com

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