Home ⟩ Announcement
मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी से ही संभव है और वर्तमान में दो प्रमुख तकनीकें – फेकोइमल्सिफिकेशन (Phaco) और फेम्टोसेकंड लेज़र असिस्टेड सर्जरी (FLACS) – व्यापक रूप से अपनाई जाती हैं। इन दोनों तरीकों ने लाखों लोगों की खोई हुई दृष्टि
मोतियाबिंद सर्जरी आज के समय में एक सुरक्षित और प्रभावशाली प्रक्रिया बन चुकी है। आधुनिक तकनीक और अनुभवी चिकित्सकों की मदद से इस सर्जरी से लाखों लोगों की दृष्टि लौटाई जा चुकी है। लेकिन केवल ऑपरेशन कराना ही पर्याप्त नहीं
जन्मजात ग्लूकोमा का अर्थ जन्मजात ग्लूकोमा एक असामान्य बीमारी है, जो लगभग 10,000 में से एक नवजात शिशु को प्रभावित करती है। यह ऐसी स्थिति है जिसमें आँख की आंतरिक जल निकासी प्रणाली ठीक से काम नहीं करती। इसके कारण
रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी (ROP) एक ऐसी आंखों की बीमारी है, जो समय से पहले जन्मे और कम वजन वाले शिशुओं में होती है। इसमें रेटिना की नसें ठीक से विकसित नहीं हो पातीं, जिससे अंधेपन तक का खतरा हो सकता
भूमिका हाइपरोपिया (Hyperopia), जिसे आम भाषा में “दूर दृष्टि दोष” कहा जाता है, एक सामान्य नेत्र समस्या है जिसमें पास की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं जबकि दूर की वस्तुएं सामान्य लगती हैं। यह स्थिति जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित
धुंधली दृष्टि यानी आँखों में अस्पष्ट या धुंधला दिखाई देना, कई बार सिर्फ अस्थायी परेशानी होती है, लेकिन यह कई गंभीर आँखों संबंधी बीमारियों का संकेत भी हो सकती है। यह समस्या किसी एक उम्र में नहीं होती बल्कि किसी
भेंगापन, जिसे स्क्विंट या स्ट्रैबिस्मस भी कहते हैं, एक ऐसी स्थिति है जिसमें दोनों आँखें एक ही दिशा में संरेखित नहीं हो पातीं। यह समस्या आँखों की मांसपेशियों के असंतुलन के कारण होती है, जिससे एक आँख सीधी देखती है
कॉर्निया क्या होता है? कॉर्निया आंख का सबसे आगे का पारदर्शी हिस्सा होता है, जो गोलाकार रूप में आंख को ढकता है। यह बाहरी प्रकाश को आंख के अंदर प्रवेश करने देता है और उसे फोकस करके रेटिना तक पहुंचाता
दृष्टि सुधार की जरूरत क्यों होती है? हमारी आंखें शरीर का सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण अंग हैं। लेकिन जब रेटिना पर प्रकाश का फोकस सही न हो, तो व्यक्ति को धुंधलापन, अस्पष्टता और चश्मा पहनने की जरूरत महसूस होती है।
ग्लूकोमा एक गंभीर नेत्र रोग है, जिसे आमतौर पर ‘काला मोतिया’ कहा जाता है। यह बीमारी आंख की ऑप्टिक नर्व (दृष्टि तंतु) को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है, जिससे व्यक्ति की दृष्टि धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। यदि समय रहते इसका